innerfeeling
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यह पेपर जब भी
आते है
माओं की तो
जान पे आफत
बन जाते है ,
बच्चो से ज्यादा तो
मम्मियां होती परेशान
बेटा पढ़ लो,मत करो मस्ती
लाख मिन्नते करती
देती हजारो लोभ
पढ़लो बेटा प्लीज
कुछ दिन की तो है बात ,
एक और सब्जी चढ़ाती
दूसरी तरफ
प्रश्न उत्तर सुनती है
फिर कहती चलो
१५ मिंट का ब्रेक तुम्हारा
मैं फुल्के सेक आती हूँ
बस ऐसे ही
कोहलू के बैल सी चलती है ,
रात को सोते वक़्त
सर भारी उसका होता है
अगले दिन फिर लगना
काम पर
सोच कर यह
एक गोली(टेबलेट) अंदर डाल लेती है
सुबह उठ कर फिर से
मोर्चा वो सम्भाल लेती है ,
पता नही कैसा होगा पेपर
सही से देगा या नही हर उत्तर
बच्चों से ज्यादा
माँ को रहता डर
बच्चों से ज्यादा माँ
को होती फ़िक्र
जिस दिन होता आखिरी पेपर
उस दिन लेती साँस खुलकर
सोचती कोई जंग जीती है
आज तो करनी
पूरा दिन मस्ती है
आज तो करनी पूरा दिन मस्ती है |
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