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कोने में एक औरत बैठी रो रही थी
मैंने पुछा माँ कौन हो तु
क्यों ऐसे तू बेहाल है
किया किसने तेरा यह हाल है
वो बोली : मैं माँ हूँ ,तुम्हारी भारत माँ
अपनी ही दुर्गति पर रो रही हूँ
अपनी ही ज़िन्दगी को कोस रही हूँ
मेरे बच्चे भटक गए है
पच्छिमी सभ्यता में वह रंग कर
अपनी संस्कृति भूल रहे हैं
मेरे बच्चे भटक रहे हैं |
यह अमीर बनने की है जो लालसा
कर दिया इसने
भाई को भाई के खून का प्यासा |
बिखर गए स्वार्थ में सब रिश्ते नाते हैं
बच्चों के लिए माँ बाप बोझ है
घर में रखने पर उनको शर्माते हैं
बच्चों से भी करवाते धंधा
लालची माँ बाप हर रोज हैं |
बहने जायदाद के लिए
दे देती अपने ही भाई की सुपारी
भाई भी कोन सा पीछे है
बहन को ही बना रहे बाज़ारी |
कोई रिश्ता नाता ना बचा
हर रिश्ते में आज खोट है
कैसे तुम्हे बर्बाद करूँ
हर मन में मात्र यही सोच हैं |
रो रो बोली भारत माँ
एक मेरी वो औलाद थी
आजाद करवाने को मुझे
हँसते हँसते वार अपनी दी जान थी |
और आज मेरी दुर्गति का कारण
बनी मेरी ही औलाद हैं |
आज़ाद भारत का देखा था सपना
किसी का किसी से वैर ना हो
हर इंसान लगे अपना
की थी ऐसे भारत की कल्पना |
पर हाय
सपना वो मेरा टूट गया
मेरे बच्चों ने ही मुझको लूट लिया
चोरी ,डकैती ,कत्लेआम
भ्रष्टाचार और बलात्कार
हो गया सब सरेआम
मेरा भारत अखण्ड भारत
खण्ड खण्ड हो गया
मैं बिखर गयी
मैं टूट गयी
सपना मेरा चूर चूर हो गया
मेरे बच्चे मेरे विरूद्ध ही नारे लगाने लगे
मुझसे जनम लेकर मुझको ही जलाने लगे
मैंने कहा : माँ तू रो मत
तेरी औलाद ही तुझको प्रगति की ओर ले जायेगी
तेरी औलाद ही तुझे फिर से एक दिन
सोने की चिड़ियां बनाएगी
सब्र कर माँ थोड़ा
एक दिन फिर चमक जाएगी |
देख माँ तेरा भारत कितना बदल गया
उन्नति की मंजिले तय करता हुआ
तेरा भारत आज सँवर गया |
माँ तेरी औलाद ही हैं
जिसने छोड़ा ना मानवता का साथ हैं
तूफान, भूचाल आने पर बढ़चढ़ कर देती दान हैं
अपने भाई बहनो को बचाने के लिए लगा देती जी जान हैं
रही बात कुछ गद्दारो की
उनको भी सबक सिखाएंगे
कलम से या तलवार से
सीधे रस्ते पर लाएंगे
ख़त्म करेगे हर बुराई
तेरा सपना पूरा करेगे माँ
भारत को अखण्ड बनाएंगे |
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