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बनी रुत मैं पतझड़ सी
बन कर सावन
पुष्पित मुझको कर जाओ पिया जी |
प्यासी मैं धरा सी
बरस बन बादल
तृप्त मुझको कर जाओ पिया जी |
वाट जोहती (राह देखती) पगडंडी पर रोज
बन के झोंक हवा सा
आखिओं की प्यास मिटाओ पिया जी |
दिल की बगिया सुनी पड़ी
प्यार अपने से तुम
कुसुमित इस को कर जाओ पिया जी |
बहा रहा आँसू भीतर का कोठा (कमरा)
तेरी याद में
एक मोहर (ईंट)प्यार की इस पर भी
लगा जाओ पिया जी |
माना करते हो देश सेवा
न रोका, ना रोकेगे कभी
पर थोड़ा पत्नी धर्म भी
निभा जाओ पिया जी |
फोजी भाई का उत्तर
पिए इस सावन ना आ पाउँगा
पर वादा रहा आकर अगले सावन
तेरी हर शिकायत मिटाऊँगा |
अबकी बार देश मेरे पर
बिपत बड़ी आन पड़ी
सरहद पर तो थे ही दुश्मन
भीतर भी दुश्मनो की कतार लगी
ज़रा इनको सबक सिखा दूँ
भारत माँ को अपनी इनसे मुक्त करा दूँ
तू घबरा ना पिए
बेटे का फर्ज निभाने दे
पति का फर्ज भी निभा जाऊंगा |
अगले सावन आकर
तेरी हर शिकायत मिटा जाऊंगा
तेरी हर शिकायत मिटा जाऊंगा |
ऋतू गुप्ता
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