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देखा कल रात मैंने एक अजीब सपना
रूह काँप गयी जिसे देख कर मेरी
दुबकी सी पड़ी थी कोने में एक नारी
देख उसको मैं बोली तुम कौन हो
क्यों ऐसे बिलख रही हो
किया हाल किसने तुम्हारा
किससे ऐसे डर रही हो
बोली वह नारी, मैं हूँ भारत माता तुम्हारी
भगत सिंह, राजगुरु,सराभा जैसे देशभक्तो की मैं माँ
आज अपने ही बच्चो से हूँ मै हारी
गोद मेरी में खिलना सीखा
खिलते खिलते बढ़ना सीखा
आज वो ही संतान मेरी
दुत्कार रही मुझको
विद्रोह की आग में जला रही मुझको
मेरे विरूद्ध खड़े हो गए मेरे अपने ही बच्चे
मुझको नीचा दिखाने के लिए
मुझ पैर धौंस अपनी चलाने के लिए
गोद में लिया जिनको मैंने
पनाह दी जिनको अपने आँचल में
उस आँचल की ही जलाने चले
कुछ संताने मेरी
सत्ता के मोह की खातिर
मुझ पर दांव खेल रहे हैं
देशभक्त कहलाने वाले
देशद्रोहियो का साथ दे रहे हैं
बस इस लिए बेटी रो रही हूँ
खुद को ही मै कोस रही हूँ
माँ की बात सुन मेरी आँख भर आई
बड़ी मुश्किल से खुद को मै संभाल पाई
फिर बोली माँ से अपनी
तू ना घबरा माँ
तेरी सैंकड़ो नही करोड़ों संताने हैं माँ
अपमान तेरा जो सह ना पायेगी
क्या हुआ कुछ बच्चे तेरे रास्ता भटक गए
उनको भी राह दिखायेगे
देशद्रोही जो आज सर उठा रहे
भारतविरोधी नारे है जो लगा रहे
तेरा अपमान जो किये है जा रहे
मशाल दिल में उनके
सम्मान तेरे की जलायेगे
तेरे आँचल में फूल प्यार के खिलाएंगे
रहा रवैया फिर भी वैसा ही तो
भगत सिंह ,राजगुरु और सराभा
बन कर दिखाएंगे
एक नई क्रांति, एक नया इंकलाब लायेगे
पर तुझ पर ना आंच आने देंगे
एक नही लाखो भगत होगे जो तेरी खातिर
अपनी जान वार देंगे
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