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एक और राखी

innerfeeling
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कुछ ऐसे मनाया गया था राखी का त्यौहार
बहनों से गयी राखी बंधवाई
तेरी रक्षा करेगे भाईओं ने यह कसम थी खाई
बहन ने भाई का मूह मीठा किया
भाई ने भी बहन क तोहफा दिया

अगले दिन
किसी और की बहन के पीछे –२
चलता रहा वो भी
दूर तक पीछा किया उस बेचारी का
वो बहन किसी की
डरते डरते आगे बढ़ती
मुड़ मुड़ पीछे देखती
कुटिल सी हसीं देता
अश्लील फिकरे कसता रहा वो
आखिर सुनी सी गली में
धर दबोच लिया
मर्यादा को नोच लिया
उस भाई ने किसी की बहिन के साथ खेल ऐसा खेला
I
सुन अपने भाई की यह करतूत
गुस्से में आई बहिन
की आगे अपने भाई की कलाई
अपनी राखी को लिया उतार
बोली वो कुछ इस प्रकार
तू भाई है बेशक पर
वो भी बहन थी किसी की
तब तुझे क्यों न आये मेरा ख्याल
ज़ालिम उसका नही तूने
मेरा मेरा
किया है बुरा हाल
मुझको किया लहुलहान
उसका नही ,तूने मेरा किया बलात्कार

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