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चिड़िया कौए की बहस

innerfeeling
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सवेरे सवेरे जब मैं खिडकी पर आया
एक डाल पर कौवा एक डाल पर चिड़िया को
बहस करते हुए पाया
कौवा बोला
घोर कलजुग आ गया
भारत का मानव
दाना डालना ही भूल गया
दया धर्म सब छूट गया
कहाँ से लाऊ मैं अपने बच्चो के लिए दाना
हाय! परोपकारी परोपकार करना ही भूल गया
चिड़िया बोली :
सुन कौवे भाई
अब तो हमारी किस्मत में है भूखे मरना
इसमें ना दोष इस मानव का
नही भूले यह दान धर्म
ना ही भूले परोपकार करना
इन पर पड़ी मार महंगाई की
इनको आज खुद के खाना के लाले है आन पड़े
कहाँ से डाले हमे दाना
जिनके अपने बर्तन है खाली पड़े
कहाँ से लाये तेरे बच्चों के लिए दाना
इनके अपने बच्चे भूखे सोये पड़े है
हीरे मोती तो बहुत दूर की है बात
सब्जी भाजी और राशन खरीदना हो गया है
आज औकात से बाहर
अब तू ही बता
कैसे करे आज की महंगाई
में कोई परोपकार

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