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शहीदी दिवस पर एक शिकायत एक गुजारिश

innerfeeling
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देश कि आजादी में
जिन्होंने अहम भूमिका थी निभाई
अपनी जान गवां कर
लाखों दिलों में आजादी कि अलख थी जगाई

आजादी कि लहर में बढ़चढ़ कर था हिस्सा लिया
इंकलाब ज़िंदाबाद का था नारा दिया
ना गम न कोई शिकवा किया
हँसते हँसते देश कि खातिर खुद को था कुर्वान किया

ऐसे वीर जिनसे विदेशी हकूमत थी थरथराने लगी
मिटा दिया जाए कैसे इन्हे
ऐसे जोड़ तोड़ थे लगाने लगी

ऐसे क्रन्तिकारी तरस रहे है
शहीद कहलाने को
आज भी कागजों में शहादत पाने को
भूल गये हम आजादी के उन दिवानो को

भूल गये उन वीरों को
किताबी किस्से बन कर रह गये वो
सियासती मुद्दे बन कर रह गये वो

उठो देश के जवानो
याद करो उन वीरों को
जिनकी शहादत से ही
खुली हवा में सांस ले रहे हम
आजादी से आजादी कि ज़िंदगी जी रहे हम
याद करो आजादी के उन दिवानो को

तुम वीरों से भी मेरी गुजारिश
ए क्रन्तिकारी वीरों आज फिर तुम जी उठो
फिर से है भारत माँ को जरूरत तुम्हारी
गुलाम नही भारत माँ अब फिरंगिओं की
गुलाम बन बैठी माँ
भ्रष्टाचार ,महंगाई और कालाबजारी की
भारत माँ की यह लाचारी
अपनी ही औलाद से है भारत माँ हारी
अब तुम ही इस देश को बचा सकते हो
भारत माँ के इस दर्द को अब तुम ही मिटा सकते हो
मर गया है जो ज़मीर लोगो का
फिर से तुम ही उसे जगा सकते हो
सोई इंसानियत को तुम ही जगा सकते हो
आ जाओ वीरों नयी क्रांति लाने को
देश को कपूतों से आजाद करवाने को

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