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आज माँ जी कुछ उदास दिख रही थी | मैंने पूछा माँ जी क्या हुआ ?आपकी तबियत तो ठीक है ना |
इस पर बोली हाँ बहु तबियत तो ठीक है |
फिर क्या बात है आप उदास क्यों है ? कुछ नही साथ वाली नीता के बेटी हुई है |एक लम्बी सांस छोड़ कर वो अपने कमरे में चली गयी | मैं समझ गयी थी माँ जी का दुःख | मेरी शादी को तीन साल हो गये थे पर मैं एक बच्चा नही दे पायी थी इस परिवार को | पर फिर भी इसकी मुझसे किसी ने कोई शिकायत नही की| पर मैं उन्हें ख़ुशी नहीं दे पा रही थी | मैं इस उधेरबुन में ही थी की शीला मौसी आ गयी |मैंने उन्हें बैठक में बिठाया और मां जी को बुलाया |मैं चाए नाश्ता तैयार करने लगी | मैं नाश्ता लेकर आ रही थी, की मेरे कदम दरवाजे पर ही रुक गये |शीला मौसी कह रही थी की रमन की दूसरी शादी करवा दी जाये |कम से कम घर में कोई किलकारी तो गूंजेगी |मां जी बोली यह नही हो सकता सुधा एक अच्छी बहु है |इस पर मौसी बोली क्या ख़ाक अच्छी,दूध ना देने वाली गाये को कौन पालता है |माँ जी बोली नही यह नहीं हो सकता सुधा मेरी बेटी जैसी है | उनकी बाते सुन मेरे दिल में उनके प्रति सम्मान और भी बढ़ गया |
शीला मौसी अपने घर चली गयी|पर मेरे अंदर हल चल मच गयी थी|सब उससे कितना प्यार करते है पर वो उन लोगों को ख़ुशी नही दे सकती | उसके जेहन मैं शीला मौसी कि बाते गूंजने लगी |शीला मौसी ठीक कह रही थी, रमन को दूसरी शादी कर लेनी चाहिए | हाँ मैं मनाउगी रमन को हर हाल मैं, कस्मे दूँगी अपनी, पर उन्हें मना लूंगी दूसरी शादी के लिए | इसी उथल पुथल मैं सारा दिन निकल गया
शाम को रमन घर आ गया | रमना ने कहा सुधा तो कुछ उदास सी लग रही हूँ, क्या तुम्हारी तबियत ठीक हैं| सुधा ने उससे खाना दिया और अपने कमरे में चली गयी| रमन ने खाना खाने के बाद सुधा से दुबारा उसकी परेशानी के बारे मैं पुछा |
सुधा बोली रमन – मेरी एक बात मानोगे
रमन – सुधा, बोलो क्या बात हैं, आज तक मैंने तुम्हारी कोई बात टाली हैं जो आज टालूंगा
सुधा – वादा करो
रमन – वादा
सुधा – तुम दूसरी शादी कर लो रमन
रमन – सुधा ! ये क्या कह रही हो ?
सुधा – हाँ रमन, तूम दूसरी शादी कर लो, हमारी शादी को तीन साल हो गए हैं, और मैं माँ नहीं बन पायी हूँ, इस घर मैं ख़ुशी लाने के लिए तुम दूसरी शादी कर लो, एक सांस मैं ही कह गयी थी ये सब सुधा
रमन – सुधा तुम क्या कह रही हूँ, पागल हो गयी हो , ऐसा कभी नहीं हो सकता हैं
सुधा – रमन तुम ने वादा किया हैं , तुम दूसरी शादी कर लो वर्ना मैं जिन्दा नहीं रहूंगी
सुधा!!
मैं सच्च कह रही हूँ
इसी बहस मैं रात के तीन बज गए, रमन ने कहा ठीक हैं सुधा, इस बारे मैं सुबह बात करेगे
अगली सुबह, रमन ऑफिस नहीं गया, उसने छुट्टी ली थी
रमन के उठने पे सुधा ने पुछा कि रमन तुमने क्या सोचा हैं दूसरी शादी के बारे मैं
रमन : सुधा एक बात बताओ कि तुम्हे ये किसने कहा हैं कि तुम माँ नहीं बन सकती, क्या तुमने कोई टेस्ट करवाया हैं
सुधा: नहीं, पर मैं कुछ नहीं जानती, मुझे पता हैं कि मैं माँ नहीं बन सकती, और तुम दूसरी शादी कर रहे हो बस |
रमन : ठीक हैं सुधा, मैं दूसरी शादी कर लूँगा पर तुम्हे भी मेरी एक बात माननी पड़ेगी, हम दोनों टेस्ट करवाते हैं और अगर कमी मेरे मैं निकली तो तुम्हे दूसरी शादी करनी पड़ेगी
सुधा: नहीं ऐसे नहीं हो सकता,
रमन – क्यों ऐसा क्यों नहीं हो सकता जब बच्चे कि ख़ुशी के लिए तुमे मुझे दूसरी शादी के लिए कह सकती हो तो वो तुम क्यों दूसरी शादी नहीं कर सकती
सुधा: ऐसा कभी नहीं हो सकता
इतने मैं उनकी बहस सुन कर, सुधा कि सास आ गयी और कहती हैं तुम दोनों क्यों बहस रहे हो
रमन उनको सारी बात बता देता हैं
माँ जी – सुधा तुमे ये क्या कह रही हो, ऐसा कभी नहीं हो सकता, तुम हमारी बेटी हो
हम तुम दोनों का टेस्ट करवायेंगे और जैसे भी हो, इलाज़ करवाएंगे, अगर फिर भी कोई बात नहीं बनी तो हम बच्चा गोद ले लेंगे
तुम दोनों इस घर कि रूह हो, जैसे रूह के बने शरीर , शरीर नहीं रहता, वैसे ही तुम्हारे बिना इस घर का कोई वजूद नहीं हैं
सुधा ये सब सुन कर बिलख बिलख अपनी सास के गले लग कर रोने लगी
सुधा बोली मुझे माफ़ करदो, मैं भटक गयी थी और तीनो एक दुसरे के गले लग के रोने लगे
उस दिन के बाद से उनके घर मैं ये बात दुबारा कभी नहीं उठी और उनके घर एक साल बाद एक छोटी से परी ने उनके आँगन को महका दिया |
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