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एक दिन मैंने कहा इनसे
होता है प्यार क्या
ज़रा समझाना मुझे
यह बोले पगली
क्या समझाऊ तुम्हे
प्यार कि कोई एक भाषा हो तो बताऊ तुझे
प्यार बंधन नही एक उडारी है
आसमान में उड़ता ही जाता है
ना थकता ना रुकता बस बढ़ता ही जाता
प्यार कि कोई परिभाषा नही
ना ही कोई शब्दावली
प्यार एक रिश्ता है ऐसा
जिसमे जितना दिया
उससे बढ़कर है पाया जाता
प्यार एक अहसास जैसा
खुली आँखों से सपने दिखाता
आसमान पर महल बनवादे
ज़मीन पर सीढ़ी लगवादे
प्यार में जो पड़ जाता
बिन पिए उसे मतवाला बना दे
प्यार ना कभी कम होता
बीज बन जब मिटटी में मिलता
पौधा बन कर है पनपता
सूरज,बारिश का प्यार जो बरसता
वृक्ष सा बड़ा रूप मिलता
बिन मांगे यह वृक्ष फल देता
बिन स्वार्थ के छाया, इस वक़्त
प्यार अपनी चरम सीमा पर होता
प्यार कोई सौदा नही करता
निर्मल निष्कपट समर्पित प्यार
बढ़ता बस बढ़ता ही जाता
ना बदले कि भावना
ना कोई सौदा करता
प्यार का ना कोई मोल
प्यार के अहसास को
शब्दों में ना बांध पाओगी
बांधने कि कोशिश करोगी तो
और भी उलझ जाओगी
जिस दिन महसूस करोगी प्यार को
उस दिन होता है प्यार क्या
सब समझ जाओगी
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