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इंतज़ार का फल – कांटेस्ट

innerfeeling
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आज हमारे कॉलेज में हलचल मची हुई थी |सब लड़कियों के ग्रुप्स आपस में बातें कर रहे थे |मैंने मेरी दोस्त से पुछा आज ऐसा क्या हो गया है सब तरफ शोर क्यूँ है ? यार तुझे पता नहीं क्या हो रहा है ?नहीं मुझे नहीं पता |अरे हमारी प्रिंसिपल मैडम शादी कर रही है | क्या ???मैं हैरान हो गयी |इस उम्र में शादी,सारी उम्र बिन शादी के निकाल दी और अब शादी |
तभी अचानक प्रार्थना सभा के लिए बुलावा आ गया | अरे आज तो प्रार्थना सभा नही होती आज क्यूँ ? हम सब प्रार्थना सभा में बड़ी उत्सुकता के साथ इकठे हुए |थोड़ी देर बाद ही सारा स्टाफ स्टेज पर एकत्रित हो गया | प्रिंसिपल मैडम जैसे ही स्टेज पर आये सब ने उनको फूलों के साथ बधाई दी |पर मेरे दिल में हलचल मची हुई थी कि समस्त जीवन अकेले बिताने वाले मेरे आदर्श टीचर को आज क्या हो गया ?क्यों
तभी प्रिंसिपल मैडम ने माइक अपने हाथ में लिया और बोले आप सब हैरान होगें ,पर यह सच्च है मैं शादी कर रही हूँ हाँ जिसे मैंने बरसों पहले चाहा था | पर हमारी शादी नहीं हो पायी |पर आज मैं उनको अपना बनाने जा रही हूँ |और वो है मि. अश्विनी ..तभी स्टेज पर एक ५० वर्ष के आदमी का परवेश हुआ | अश्विनी और मैं एक ही कालेज में पढ़ते थे हम दोनों कि दोस्ती कब प्यार में बदल गयी हमे पता ही नहीं चला |हमने साथ जीने मरने कि कसमें खायी | देखए ही देखते हमारा कालेज पूरा हो गया | फिर हमने यूनिवर्सिटी में दाखला लिया |हमारा प्रेम आसमान कि उच्चाईयों को छू रहा था | कहते है हर किसी के दिल कि मुराद पूरी नही होती | और समय से पहले और भाग्य से अधिक किसी को कुछ नहीं मिलता | हमारी भी बात नही बनी |मेरे घर में मेरी शादी कि बातें होने लगी |मैं शादी को टालती रही |इसी बीच मेरी ऍम ए और अश्विनी की भी पढ़ाई पूरी हो गयी | मुझे एक स्कूल में नौकरी मिल गयी | अश्विनी ने अपने पापा का बिसनेस ज्वाइन कर लिया |अब इधर मेरी शादी का मुझ पर,और उधर अश्विनी पर उसकी शादी के लिए दबाब पड़ने लगा |हमने अपने घरवालों को अपनी बात बताई |पर हालत ऐसे हुए की हमारी शादी नही हो पायी | मैं नौकरी के साथ आगे पढ़ने लगी |अश्विनी से मिलना मेरा धीरे धीरे ख़तम हो गया | मैं आपके ही कॉलेज में लेक्चरार बन कर आ गयी |अस्विनी एक लेखक बन गये | मैं इनकी लिखी किताबें पढने लगी |किताबों के माधयम से ही मुझे पता चला की इनकी शादी हो गयी है और इनके दो बच्चे भी है | मेरा माँ बाप ने मुझे शादी करने की लिया बहुत मनाया पर मैं नही मानी |आखिर वो हार गये |१५ साल ऐसे ही बीत गये और मैं प्रिंसिपल बन गयी |इन्होने ने एक नावल लिखा जिसका प्रथम पन्ने पर लिखा पत्नी कि याद में …… तब मुझे पता चला कि इनकी पत्नी कि मृत्यु २ साल पहले हो गयी |पुस्तक पर लिखे फ़ोन नम्बर पर मैंने इनसे बात की और अफ़सोस ज़ाहिर किया |फिर दोस्ती का एक नया रिश्ता हम में शुरू हो गया |मैंने इनसे शादी की बात की |इन्होने कहा कि मेरे बच्चे अगर चाहे तो ही सम्भव हो सकता है | हमने इनके बच्चों से बात कि |मैंने उनको सारी बात btaai | मेरी कहानी ,मेरी कुर्वानी,मेरा इंतज़ार सुन वो हैरान रह गये|उन्होंने हम से वक़्त माँगा| कुछ महीनो बाद उन्होंने मुझे पहली बार माँ कह कर बुलाया | और अब उन्होंने ही हमारी शादी का प्रोग्राम रखा है| आज मैं खुश हूँ कि मुझे मेरे इंतज़ार का फल मिला | आज मुझे sab कुछ mil गया | हम सभी मैडम की कहानी सुन नतमस्तक हो गये |

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