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जवानी के वो दिन बीत गये जो कल
साथ तुम्हारा था ,मैं भी पास था
पर ज़िमेदारिओं तले
वक़्त ना हमारा था |
आज हर वक़्त हर लम्हा
तुम्हारे साथ बिताना चाहता हूँ
बीत गये जो ‘खाली पल’
आज अपने प्यार से सींचना चाहता हूँ|
उम्र के इस दौर में
बच्चे अपनी ज़िंदगी में मस्त हो जाते जब
तन्हाई के इन लम्हों में
मेरा हरपल साथ निभाती तुम|
अपनी प्यारी सी बातों से
मेरी तन्हाई के बादलों को
बन कर चमकती धूप
पल में दूर कर जाती तुम|
सादगी से सजी सवंरी तुम
कुछ झुकी , कुछ थकी सी तुम
आज भी सबका ख्याल रखती
बड़ी ही प्यारी सी लगती तुम|
नाती,पोतों को दुलारती पुचकारती
ममता कि मूरत सी बन जाती तुम
कभी कृषण भक्ति में लीन
मीरा सी लगने लग जाती तुम|
दे रही हो मुझे नया जीवन
भर रही हो मेरा खालीपन
कभी प्यार से ,कभी नोंक झोंक से
हँसता बीतता हमारा जीवन |
तेरे हर रूप ने
मेरी बगिया को सजाया है
तेरी सूझ बुझ ने
मेरी बगिया कि महकाया है |
बस एक आखिरी ख्वाहिश मेरी
तेरा मेरा साथ ना टूटे कभी
जग रूठे तो बेशक रूठे
रूठ ना जाना तुम कभी
रूठ ना जाना तुम कभी-
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