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माँ मुझे लगा
अब मैं भी दुनिया देखुंगी
माँ मुझे लगा
मैं भी खुले आसमान में उडुगी
पंख फैलाके आसमा में दूर तक उडारी लगाउगी
माँ मैं तेरे भीतर जीने लगी
बाहरी दुनिया देखुंगी
ऐसे सपने बुनने लगी
तेरी साँसों से ही माँ
मेरी साँसे चलने लगी
तेरी ममता से मुझे
मुझे ज़िंदगी मिलने लगी
मैं तेरी कोख में पलने लगी
पर यह क्या अचानक कुछ महीनो बाद
तू क्यूँ हार गयी माँ
तू क्यूँ मान गयी माँ
क्यूँ रोका न तूने पापा को
क्यूँ तू जान कर भी अनजान रही
क्यों तू जीते जी लाश बन गयी
चाहत थी जब तुझको खूब मेरी
फिर क्युँ,क्यूँ माँ भीतर अपने
मेरी चिता जला दी
चाह कर भी मुझे
क्यूँ तूने मार दिया
क्यूँ तूने ना विरोध किया
क्यूँ तूने अपने,मेरे सपने तोड़ दिए
क्यूँ माँ ,क्यूँ………………..
उड़ने से पहले ही मेरे पंख काट दिए
क्यूँ मुझे तूने लाश बनाया
और
अब
क्यूँ तू खुद ज़िंदा लाश बन गयी
क्यूँ माँ क्युँ ????
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