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हिंदी दिवस पर ‘पखवारा’ के आयोजन का कोई औचित्य है या बस यूं ही चलता रहेगा यह सिलसिला? – हर रोज हिंदी दिवस मनाएंगे

innerfeeling
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हर रोज हिंदी दिवस मनाएंगे
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हिंदी थी मेरी प्यारी भाषा कभी
बोलचाल,विचार-विमर्श ,मतभेद
होते थे हिंदी में सभी
ममता की बौछार कर जाती हिंदी
जिंदगी में प्यार भर जाती थी हिंदी
माँ की लोरी में भी हिंदी
पापा के प्यार में भी हिंदी
दोस्तों के मजाक में भी हिंदी
गुरु की डांट में भी हिंदी
हर तरफ पग फैलाती
हिंदी बस हिंदी
संस्कारी हमको बनाती
हिंदी बस हिंदी

ना जाने चली कैसी लहर
हिंदी को लग गयी नजर
दूसरी भाषा ने उगला ऐसा ज़हर
बना लिया गुलाम हिंदी को इस कद्र
गिरा दिया जमीं पर
ना उठ सकी वो मुड कर
अपाहिज सा उसे कर दिया
हिंदी के स्थान पर खुद
कब्जा कर लिया

दोष नही सारा उस दूसरी भाषा का
दोष कुछ है हमारी सोच का
सोच, जो अंग्रेजो के जाने के बाद भी
गुलाम हो गयी अंग्रेजी की |
सोच, जो अपनी ही राष्ट्र भाषा को तुच्छ समजने कगी
सोच, जो दूसरी भाषा को श्रेष्ठ कहने लगी

तुम हाथ दे कर उठा लो
जब भारत माँ जंजीरों में कैद थी
आजाद होने की ना कोई उम्मीद थी
लाला लाजपतराय, भगत,राजगुरु,सुबाश चंद्रबोस
ऐसे न जाने कितने अनगिनत शहीदों ने
भाषण दिए थे हिंदी में
आजादी के नारे दिए थे हिंदी में
लोगो को एकमुठ किया हिंदी ने
अंग्रेजो के खिलाफ बगावत हुई हिंदी में
आजादी हमको दिलाई हिंदी ने
सविधान लिखा गया हिंदी में

तो क्यों क्यों आखिर क्यों
आज शर्मसार हो रही है हिंदी
एक कोने में पड़ी रो रही है हिंदी
मर मर के जी रही है हिंदी
डर डर के सिसक रही है हिंदी
दर दर भटक रही है हिंदी
अपनी ही होंद की भीख मांग रही है हिंदी
क्यूँ हमने हिंदी को किनारे कर दिया
क्यूँ अंग्रेजी का हाथ थाम लिया
क्यूँ गुलामी की जंजीरों को तोड़ कर
खुद ही गुलाम हो गयी हिंदी
क्यूँ हमे हमारा आजाद भारत देकर
खुद ही कहीं खो गयी हिंदी

अभी भी वक़्त है
तुम हाथ दे कर उठा लो
अभी अपाहिज ही हुई है
उसे मरने से बचा लो
दो तुम थोडा सा दो सहारा
तो हिंदी पुन: उठ जाएगी
नही कुछ खास है इसमें करना
बच्चो को हिंदी में शिक्षा देना
हिंदी बोलने पर सजा नही इनाम है देना
स्कूल कॉलेज दफ्तर हो या बाहर
हिंदी की प्रतियोगिता,गोष्ठिया रखना
शादी का कार्ड हिंदी में छपवाना
प्रेम पत्र हिंदी में लिखना
घर हो या बाहर
फेसबुक हो या ट्विटर
हर वार्तालाप हिंदी में ही करना
हर वार्तालाप हिंदी में ही करना
अभी से तुम यह आगाज कर लो
हिंदी का है प्रचार करना
हिंदी को सर्वव्यापी बनाने के लिए
दिन रात कर दो एक
आज सब ये प्रण कर लो
हर रोज हिंदी दिवस मनायेगे
खोया है जो मान सम्मान हिंदी ने
वो मान सम्मान वापिस दिलायेगे
वो मान सम्मान वापिस दिलायेगे

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