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गुरु आप महान हो
हमारे मार्गदर्शक हो
देते हो प्रेरणा
करते हमारा कल्याण हो
शिक्षक
तुमे दिया दर्जा भगवान् का
कार्य सौपा गया आपको
उज्जवल भविष्य के निर्माण का
आपके हाथों में डोर है
बच्चे रूपी पतंग की
आपकी दी शिक्षा उसे
आसमान में उड़ा दे
या मिटटी में मिला दे
आप ही हो जो अपने शिष्यों के
गुण अवगुण को लेते जान हो
आप कुम्हार हो
मिटटी (बच्चे) को देते आकार हो
चाण्यक्य जैसे गुरु ने ही चन्द्रगुप्त
जैसा महान राजा था दिया
पर
आज क्यों शिक्षक
बन रहे हो भक्षक
क्यों तुम्हारे होते हुए भी
बच्चे गुमराह हो रहे है
क्यों आप उने सही गलत
नही समझा पा रहे हो
अब छोडो लालच
संभालो डोर
बच्चो को सवारों
देश को बचा लो
सब तुम्हारे हाथों में है
सब तुम्हारे हवाले
जैसा जी चाहे वैसे
राह पर अपने छात्रों को चला लो
तुम में है शक्ति अपार
आयो हो जायो तैयार
बच्चो का, देश का
बेडा कर दो पार
शिक्षक क्युकि
तुम थे महान
तुम हो महान
तुम रहोगे महान
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