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बदलती परम्परा

innerfeeling
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यह कैसी परम्परा अपना रहे हम
जिनकी शहादत से हासिल की यह आजादी
जिनकी कुर्वानी से पाया यह जमीं आसमान
उन्ही को भुलाते जा रहे हम

विदेशी रिवाजो को अपनाते है शिद्दत से
पर अपने ही मूल्य गवांते जा रहे हम
फ्रेंडशिप डे, वैलेंटाइन मनाते है जरूर
स्वतंत्रता दिवस , गणतंत्र दिवस
को ही भुलाते जा रहे हम

कोई बड़ी हस्ती मर जाये तो
लाखो गम मनाते हम
शहीदों की शहादत पर मूकदर्शक बन जाते हम
फिरंगियों से दोस्ती करने को आतुर हम
अपने ही साथियो को रुलाते हम

न जाने कोण सी दिशा में कदम बढ़ा रहे है
अपनी ही परम्परा को
भुलाते जा रहे हम ||

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