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अनमोल रिश्ता

innerfeeling
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एक ख़ूबसूरत से रिश्ते में बांधता है भगवान्
जिसे अपना ही रूप मानता है भगवान्
वोह जो खुद दुःख सह कर हमे ख़ुशी दे देते है
वोह जो खुद धूप सह कर हमे छाव कर देते है
मूह फेर ले बेशक हम उनसे
दुआ फिर बी हमारे लिए वोह करते है
निस्वार्थ निष्कपट प्रेम जो हमसे करते है
हाथ थाम कर चलना सिखाते है
हमारे दुःख उने हरा देते
हमारी खुशिओं में वो खिल जाते है
गम की लकीरे बिना देखे ही पहचान जाते है
जिन्दादिली से ही गमो से उबरना सिखाते है
अथाह प्रेम से लबालब ताउम्र हमारा साथ निभाते है
न अकते है न थकते, हमारी खुशियोकी खातिर खुद जीना भूल जाते है
वोह माँ बाप ही है जो भगवन का रूप होते है
वोह माबाप ही है जिनके कदमो में जन्नत बस्ती है

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