innerfeeling
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अब कान्हा नही आते
दुनिया से पाप मिटाने को
सतयुग फिर लाने को
अब कान्हा नही आते
रोज लुटती है लाज द्रोपतियो की
किसी द्रोपती की लाज बचाने को
अब कान्हा नही आते
ज़हर उगलता है हर इन्सान जमाने में
ज़हर को अमृत बनाने को
अब कान्हा नही आते
रोज आते आंधिया तूफान जिंदगी में
इन तुफानो से बचाने को
अब कान्हा नही आते
न जाने कितने शेषनागो ने घेर रखा संसार
इन नागो को भगाने को
अब कान्हा नही आते
फिर भी मानव तू कर भगवन का धयान
कान्हा आयेगे
वोह बसते भीतर हर इन्सान
मानवता को अपना तू
किसी के काम आ तू
हर चीज में दिख जायेगे भगवन
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